IIT Kanpur Olympiad Quota: इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टैक्नोलॉजी (IIT) कानपुर की एडमिशन पॉलिसी और स्टूडेंट्स की पसंद पर इस साल एक दिलचस्प ट्रेंड देखने को मिला है. सेशन 2025-26 में ओलंपियाड (Olympiad) कोटे से सीधे 5 छात्रों ने आईआईटी कानपुर में दाखिला लिया है. दिलचस्प ये है कि इन 5 छात्रों ने इंजीनियरिंग के लिए कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग (CSE) ब्रांच को चुना है. इस ब्रांच की सबसे अधिक मांग होती है. मसलन, जेईई एडवांस्ड के टॉपर्स ये ब्रांच लेते हैं.

आमतौर पर IIT में दाखिला लेने के लिए JEE Advanced क्लियर करना जरूरी है, लेकिन IIT कानपुर ने कुछ साल पहले टैलेंट बेस्ड एडमिशन का एक दरवाजा खोला. इसमें इंटरनेशनल ओलंपियाड में छाप छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को JEE की लाइन से अलग सीधा मौका मिलता है.

ओलंपियाड कोटे से दाखिला का क्या प्रोसेस

आईआईटी में ओलंपियाड कोटे से दाखिला का प्रोसेस आसान बिल्कुल नहीं है. पहले ओलंपियाड परफॉर्मेंस के आधार पर छात्रों के नामशॉर्टलिस्ट किए जाते हैं, फिर एक लिखित टेस्ट लिया जाता है, जो JEE Advanced लेवल के ही सवालों को कवर करता है. इसके बाद एडमिशन कमेटी चयन करती है.

स्टूडेंट्स के नाम और प्रोफाइल नहीं बताया

आईआईटी कानपुर में 5 छात्रों ने ओलंपियाड कोटे से दाखिला लिया है. उनमें से दो इंटरनेशनल ओलंपियाड इन इंफॉर्मेटिक्स ट्रेनिंग कैंप से और तीन इंटरनेशनल मैथमेटिकल ओलंपियाड से हैं. IIT कानपुर ने अभी उनके नाम और प्रोफाइल सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन इतना तय है कि ये बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से देश के सबसे प्रतिभाशाली और दिमागी तौर पर सबसे तेज स्टूडेंट्स में गिने जाते हैं.

CSE को ही क्यों चुना

सवाल बड़ा सिंपल है, जब मैथ और प्रोग्रामिंग में बेस पहले से मजबूत हो, तो करियर किस दिशा में जाएगा? सीधा कंप्यूटर साइंस की तरफ. यही हुआ इन पांचों स्टूडेंट्स के साथ. IIT कानपुर ने ओलंपियाड वाले बच्चों के लिए पांच विकल्प दिए थे- CSE, मैथ्स एंड स्टैटिस्टिक्स, इकोनॉमिक साइंसेस, बायो साइंसेस एंड बायोइंजीनियरिंग और केमिस्ट्री. लेकिन हर किसी ने एकमत से CSE को ही चुना.

ब्रिज कोर्स की सुविधा नहीं मिलेगी

आईआईटी कानपुर ने साफ किया है कि ओलंपियाड से आए स्टूडेंट्स को कोई खास सुविधा या ब्रिज कोर्स नहीं मिलेगा. उन्हें JEE वाले बच्चों के साथ ही पढ़ना होगा और वही करिकुलम फॉलो करना होगा. यानी यहां बराबरी का नियम लागू होगा. अब सवाल यह है कि क्या IITs आने वाले समय में खेल, कला या एंटरप्रेन्योरशिप जैसे टैलेंट बेस्ड रूट भी खोलेंगे? अभी तक यह पॉलिसी सिर्फ ओलंपियाड टॉपरों तक ही सीमित है, लेकिन अगर आगे ऐसा हुआ, तो देश की सबसे बड़ी टेक यूनिवर्सिटी से निकलने वाली टैलेंट की परिभाषा शायद और भी बदले.