BHU Donation Drive: महामना मदन मोहन मालवीय ने 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना के लिए दान मांगा था. उस दौरान देशभर से लोग आगे आए थे. किसी ने जमीन, किसी ने गहने, तो किसी ने अपनी मेहनत की कमाई दान में दे दी. यही योगदान BHU की ताकत बना. कुल जमा कहें तो ये परंपरा 100 साल बीत जाने के बाद भी बीएचयू में आज भी कायम है.
मसलन, अगर आप भी बीएचयू की इस दान परंपरा का हिस्सा बनना चाहते हैं तो बताते हैं कि कैसे आप इसमें शामिल हो सकते हैं.
महामना वार्षिक निधि 2025
बीएचयू प्रशासन ने महामना वार्षिक निधि 2025 के तहत डोनेशन की अपील की है. कुल जमा समझें तो महामना मदन मोहन मालवीय ने 109 साल पहले जिस भावना से BHU की नींव रखी थी, उसी परंपरा को यह वार्षिक निधि जीवंत बनाए हुए है.
दान से किसे होगा फायदा
दान से मिलने वाले पैसों का उपयोग मुख्य रूप से छात्रवृत्तियां, आर्थिक सहायता, शैक्षणिक उत्कृष्टता, शोध और पाठ्यक्रम विकास पर किया जाएगा. साथ ही हॉस्टल, महिला महाविद्यालय और विश्वविद्यालय अस्पताल जैसे क्षेत्रों को भी इस फंड से मदद मिलेगी. बीएचयू प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस अभियान का मुख्य मकसद, योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है. इसके साथ ही शिक्षकों को रिसर्च और अकेडमिक डवेलपमेंट में सहायता देने, पाठ्यक्रम और नए कार्यक्रमों में नवाचार को बढ़ावा देना है.
कैसे कर सकते हैं डोनेट
दानदाता चाहे तो छोटी रकम से लेकर बड़ी राशि तक योगदान कर सकते हैं. यह राशि सामान्य निधि में दी जा सकती है, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग क्षेत्रों में होगा. इसके अलावा, कोई चाहें तो विशेष दान के जरिए छात्रवृत्ति, संकाय चेयर, रिसर्च सेंटर या नया कार्यक्रम शुरू करने में सहयोग कर सकते हैं. दान के लिए विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प दिए हैं.
समाज के लिए योगदान का मौका
BHU के मुताबिक, यह वार्षिक निधि सिर्फ विश्वविद्यालय के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा योगदान है. इससे न केवल छात्रों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि शोध और शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी.